राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय)

“आयकर सम्बन्धी उपयोगी प्रपत्र एवं प्रावधान”

इस पेज पर आयकर सम्बन्धी सूचनायें, प्रपत्र/ यूटिलिटी, राजस्थान के कार्मिकों के लिए तैयार की गयी है | त्रुटी / विभिन्नता की स्थिति में आयकर विभाग के नियम ही मान्य होंगे | संगठन या तैयारकर्ता का कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा |

अग्रिम कर या एडवांस टैक्स देयता (For all DDO’S & Employees)

सवाल : अग्रिम कर या एडवांस टैक्स क्या है ?

वेतन से आमदनी के अलावा जिस व्यक्ति की अन्य स्रोत से आय पर सालाना टैक्स देनदारी 10 हजार रुपये से ज्यादा बनती है, उन्हें भी हर तिमाही में कुल टैक्स का एक तय हिस्सा जमा करना पड़ता है. इसे ही अग्रिम कर या एडवांस टैक्स कहा जाता है।

सवालः एडवांस की पहली किस्त में कितने प्रतिशत का भुगतान करना होता है ?
जवाबः पहली किश्त के तौर पर, देय अग्रिम कर वर्तमान आय पर कुल देय कर का 15% है और सभी कर दाताओं को इसका भुगतान 15 जून तक करना होता है।

सवालः आयकर रिटर्न भरने समय कुल आय में किन-किन चीजों को शामिल किया जाता है ?

जवाबः आयकर रिटर्न दाखिल करते समय, कुल आमदनी में आय के निम्नलिखित स्रोत शामिल होते हैं:

A) वेतन से आय
B) गृह संपत्ति से आय/हानि
C) व्यापार या पेशे से आय/हानि
D) पूंजीगत लाभ से आय/हानि
E) अन्य स्रोतों से आय/हानि

सवालः भारत में एडवांस कर भुगतान के लिए संवैधानिक प्रावधान क्या है और भुगतान करने के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है ?

जवाबः आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 208 के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति जिसकी अनुमानित कर देयता एक वर्ष के लिए 10,000 रुपए या अधिक है, वह “अग्रिम कर” के रूप में अपने कर का अग्रिम भुगतान करेगा।

सभी कर दाताओं के मामले में वर्तमान आय पर–
*15 जून तक कुल कर का 15%
*15 सितंबर तक कुल कर का 45%
*15 दिसंबर तक कुल कर का 75%
*15 मार्च तक कुल कर का 100%*

राशि का 4 किश्तों में अग्रिम कर का भुगतान किया जाएगा।

सवालः एडवांस कर के भुगतान का तारीका क्या है ?

जवाबः आयकर नियम, 1962 के नियम 125 के अनुसार एक कॉर्पोरेट करदाता (यानि एक कंपनी) अधिकृत बैंकों की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा का उपयोग कर इलेक्ट्रॉनिक भुगतान मोड के माध्यम से करों का भुगतान करेगा। एक कंपनी के अतिरिक्‍त वह करदाता, जिन्हें अपने खातों का ऑडिट करने की आवश्यकता होती है, वे भी अधिकृत बैंकों की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक भुगतान मोड के माध्यम से कर का भुगतान करेंगे। कोई भी अन्य करदाता इलेक्ट्रॉनिक मोड या प्रत्‍यक्ष रूप से यानि कि प्राप्तकर्ता बैंक में चालान जमा करके टैक्स भुगतान कर सकता है।

Advance Tax calculater

https://www.incometaxindia.gov.in/pages/tools/advance-tax-calculator.aspx

आयकर की धारा 80C के अंतर्गत जीवन बीमा पालिसी (LIC, PLI आदि) पर चुकाए गए प्रीमियम और परिपक्वता राशि पर आयकर देयता के बारे में जानकारी और धारा 10 10(D)

क्या हम टैक्स छूट के लिए एलआईसी प्रीमियम को शामिल  सकते हैं?

हाँ, आयकर की धारा 80C के अंतर्गत वित्तीय वर्ष में चुकाए गए प्रीमियम की राशि दिखा सकते है।

जीवन बीमा पालिसी के चुकाए गए प्रीमियम पर कितनी छूट मिलती है?

आयकर की धारा 80C में वित्तीय वर्ष में जीवन बीमा पालिसी के चुकाए गए प्रीमियम पर अधिकतम राशि 150,000 रुपये की छूट मिलती है।

क्या एक परिपक्वता जीवन बीमा पॉलिसी से प्राप्त राशि कर योग्य है?

1 अप्रैल 2012 के बाद जारी जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम बीमा राशि क 10% से अधिक न हो।

1 अप्रैल 2012 से पहले जारी पॉलिसियों के लिए जब पॉलिसी पर भुगतान किया गया प्रीमियम बीमा राशि के 20% से अधिक न हो।

तब इन शर्तों के अधीन , जीवन बीमा पॉलिसी की परिपक्वता पर प्राप्त राशि बोनस सहित आयकर की धारा *10(10डी) के तहत आयकर से पूर्णतः आयकर से मुक्त है। यदि वित्तीय में चुकाया गया प्रीमियम बीमा धन के 10% / 20% से अधिक है तो वह अधिक राशि टैक्सेबल होगी और टैक्स नियमानुसार आयकर वसूला जाएगा।

आयकर की धारा 10 (10डी) क्या है?

कुछ शर्तों के अधीन आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(10डी) के अनुसार, बीमित राशि (Sum Assured) की राशि और कोई बोनस (यानी पॉलिसी की आय) परिपक्वता या पॉलिसी के आत्मसमर्पण या बीमित व्यक्ति की मृत्यु पर भुगतान किया जाता है, तब ऐसी स्थिति में प्राप्तकर्ता को मिलने वाली राशि पूरी तरह से कर मुक्त है।

आयकर अधिनियम की धारा 80CCC.(Section 80CCC of Income Tax Act)

पेंशन एक सुरक्षा है जो युवा और वृद्ध दोनों को समान रूप से शांति प्रदान करती है। धारा 80CCC एक टैक्स सेविंग सेक्शन है, जिसके तहत कोई व्यक्ति पेंशन योजनाओं या बीमा कंपनियों की किसी भी वार्षिकी योजना के लिए किए गए भुगतान के लिए INR 1,50,000 तक की कर कटौती का दावा कर सकता है।

धारा 80CCC  (Section 80CCC )क्या है?

पेंशन योजनाओं में व्यक्तिगत योगदान धारा 80CCC के तहत आयकर छूट के लिए पात्र हैं। धारा 80CCC के तहत वार्षिकी पेंशन योजनाओं के भुगतान में कटौती की जा सकती है। सेवानिवृत्ति योजनाओं को खरीदने या जारी रखने के लिए किए गए खर्चों पर कर लाभ धारा 80CCC के तहत परिभाषित किया गया है, जिससे योग्य निवेशकों को अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने की अनुमति मिलती है। वार्षिकी जमा करने पर प्राप्त वार्षिक पेंशन हर साल कर योग्य है, जिसमें कोई ब्याज या अर्जित बोनस शामिल है। केवल व्यक्तिगत करदाता (INDIVIDUAL) ही धारा 80CCC के तहत कटौती का दावा कर सकते हैं।

हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF) के लिए धारा 80 CCC में आयकर की कोई छूट देय नही है।

यहाँ कुछ चीजें याद रखने योग्य हैं:

इस योजना से प्राप्त ब्याज या बोनस आयकर कटौती के लिए पात्र नहीं होगा। योजना के आत्मसमर्पण के बाद प्राप्त राशि पर कर लगता है। आपको मिलने वाली पेंशन की राशि कर योग्य है। धारा 80CCC अधिकतम 1,50,000 रुपये की कटौती की अनुमति देता है। बीमाकर्ता सार्वजनिक या निजी क्षेत्र दोनो का हो सकता है।

वार्षिकी (Annuity) क्या है ?

वार्षिकी एक अनुबंध है जो पॉलिसी अवधि की शुरुआत में एकमुश्त निवेश पर निर्दिष्ट अवधि के लिए ग्राहकों को नियमित भुगतान प्रदान करता है। … वरिष्ठ नागरिकों जैसे व्यक्तियों के लिए वार्षिकी बहुत उपयोगी है जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए नियमित और स्थिर आय की आवश्यकता होती है। वार्षिकी दो प्रकार की होती है, 1-तात्कालिक 2-आस्थगित वार्षिकी।

तात्कालिक वार्षिकी में आपको जीवन बीमाकर्ता को एकमुश्त राशि का भुगतान करने के तुरंत बाद पेंशन मिलती है। आस्थगित वार्षिकी में आपको निर्धारित समय अवधि के बाद पेंशन मिलती है। वार्षिकी योजनाओं का लाभ आपके पूरे जीवन के लिए नियमित और गारंटीकृत भुगतान है।

सरल पेंशन प्लान क्या है ?

सरल पेंशन योजना एक तात्कालिक वार्षिकी प्लान है, यानी पॉलिसी लेते ही आपको पेंशन मिलना शुरू हो जाता है. इस पॉलिसी को लेने के बाद जितना पेंशन से शुरुआत होती है, उतनी ही पेंशन पूरी जिंदगी मिलती है।

एलआईसी में पेंशन प्लान क्या है ?

LIC सरल पेंशन योजना (Saral Pension). ये एक सिंगल प्रीमियम पेंशन प्लान (Single premium Pension plan) है, जिसमें पॉलिसी लेते समय ही एक बार प्रीमियम देना होता है. इसके बाद पूरी जिंदगी आपको पेंशन मिलती रहेगी।

LIC सरल पेंशन प्लान को 40 से 80 साल तक का कोई भी व्यक्ति ले सकता है. ज्वाइंट लाइफ एन्युटी ऑप्शन में दोनों की उम्र 40 से 80 के बीच में होनी चाहिए. इसमें आपको मासिक, तिमाही, छमाही और सालाना पेंशन लेने का ऑप्शन है. इस पॉलिसी में आप 6 महीने के बाद लोन भी ले सकते हैं।

एसबीआई पेंशन प्लान क्या है?

नेशनल पेंशन प्लान एसबीआई एक स्वैच्छिक प्लान है और 18 से 60 साल के बीच के किसी भी भारतीय नागरिक को पेंशन खाते खोलने की अनुमति देता है। नेशनल पेंशन प्लान एसबीआई के प्रत्येक खाताधारक को एक स्थायी रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN) प्राप्त होगा जो कि प्रीमियम भुगतान और पेंशन भुगतान अवधि तक फिक्स रहेगा।

अटल पेंशन योजना क्या है?

क्या है अटल पेंशन योजना? अटल पेंशन स्कीम (Atal Pension Scheme) एक ऐसी सरकारी योजना है जिसमें आपके द्वारा किए गए निवेश आपकी उम्र पर निर्भर करती है. इस योजना के तहत आपको कम से कम 1,000 रुपये, 2000 रुपये, 3000 रुपये, 4000 रुपये और अधिकतम 5,000 रुपये मासिक पेंशन मिल सकती है।

आयकर अधिनियम की धारा 80D (Section 80D of the Income Tax Act) स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के संबंध में कटौती।

धारा 80D (Section 80D )क्या है?

मेडिक्लेम पालिसी/ स्वास्थ्य बीमा पिछले एक दशक में लोकप्रिय हो रही हैं। यह किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में बीमाधारक/ निवेशक  को चिकित्सा कवर प्रदान करता है। स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियाँ आपात स्थिति के मामले में किसी की बचत को बचाने में मदद करती हैं। व्यक्तियों को स्वास्थ्य नीतियों को लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार आपके और आपके परिवार या माता-पिता के लिए आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर कुछ कर लाभ प्रदान करती है। आयकर अधिनियम की धारा 80डी प्रीमियम से संबंधित भुगतान और उससे जुड़े टैक्स लाभों के नियमों का पालन करती है।

धारा 80D के तहत कर लाभ का दावा कौन से मामलों में कर सकता है?

एक निवेशक स्वयं, परिवार (18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और माता-पिता) के लिए स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए दावा कर सकता है। भाई-बहनों या अन्य रिश्तेदारों की ओर से भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए कटौती उपलब्ध नहीं होती है। समूह बीमा प्रीमियम के लिए भी यह कटौती उपलब्ध नहीं है।

वह राशि जो धारा 80D में दावा की  सकती है –

  1. 60 वर्ष से कम आयु के निवेशक भुगतान किए गए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के मुकाबले अधिकतम 25,000 रुपये तक प्रति वर्ष का दावा कर सकते हैं| इसमें स्वयं, पति / पत्नी, आश्रित बच्चों के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम शामिल होता है।(अधिकतम दावा योग्य राशि 25000 रुपये)
  2. 60 वर्ष से कम आयु के निवेशक अपने माता-पिता (60 वर्ष से कम आयु) के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम की कटौती के रूप में अधिकतम 25000 रुपये तक का दावा भी कर सकता है।( अधिकतम दावा योग्य राशि 25000 स्वयं  + 25000 माता-पिता = 50000 रुपये)
  1. 60 वर्ष से कम आयु के निवेशक अपने माता-पिता(60 वर्ष से ऊपर) के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम की कटौती के रूप में अधिकतम 50000 रुपये तक का दावा भी कर सकता है।( अधिकतम दावा योग्य राशि 25000 स्वयं  + 50000 माता-पिता = 75000 रुपये)
  1. निवेशक स्वयं (60 वर्ष से ऊपर) तथा अपने माता-पिता (60 वर्ष से ऊपर) के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम की कटौती के रूप में अधिकतम50000 रुपये तक का दावा भी कर सकता है।( अधिकतम दावा योग्य राशि 50,000 स्वयं  + 50,000 माता-पिता = 100,000 रुपये)

इन चारों स्थतियों में प्रतिवर्ष  हेल्थ चेकअप के 5000 रूपये भी शामिल है | हेल्थ चेकअप कराओ या नहीं कराओ | केन्द्रीय कार्मिकों के लिए फाइनेंस एक्ट 2010 के आदेश क्रमांक F.No.142/1/2011-SO(TPL) Dated, 6th April, 2011 के बिंदु 15 के अनुसार CGHS Contribution को आयकर अधिनियम की धारा 80D में कर राहत के लिए शामिल किया गया है | जिसमे कटौती की अधिकतम सीमा वित्तीय वर्ष 2021-22के लिए 25,000 रुपये तक है।

यहां ध्यान देना महत्वपूर्ण है, कि यदि निवेशकों के माता-पिता की आयु 60 से ऊपर है, तब ऊपर बिंदु 2 के लिए सीमा 50,000 रुपये तक बढ़ जाती है। यदि  स्वयं व्यक्ति की आयु 60 वर्ष से अधिक है, तो बिंदु 1 की सीमा भी 50,000 रुपए तक बढ़ जाती है।

अब हम कुछ उदाहरणों की मदद से उपरोक्त को समझने का प्रयास करेंगे-

उदाहरण A- मिस्टर X एक 31 वर्षीय व्यापारी है और अपने पति / पत्नी और 4 साल की बेटी के साथ रहता है। उनके साथ उनके माता-पिता भी हैं, जिनकी उम्र 58 और 56 वर्ष है। मिस्टर X अपने परिवार के लिए सालाना 20,000 रुपये का प्रीमियम चुकाता है। इसके अलावा, वह अपने माता-पिता के लिए 30,000 रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम भी चुकाता है।

उपरोक्त मामले में, भले ही श्री X कुल 50,000 रुपये का प्रीमियम चुकाता है, वह केवल 80D के तहत 45,000 रुपये के लिए कर-बचत लाभों का दावा कर सकता है। वह अपने, पति / पत्नी और 4 साल की बेटी के लिए प्रीमियम 20,000 रुपये की संपूर्ण कटौती का दावा कर सकता है,किन्तु , उसके माता-पिता की आयु 60 वर्ष से कम है  इसलिए, उसे केवल 25,000 रुपये का लाभ मिलेगा न कि  30,000 रुपये का । इसलिए, कुल कटौती धारा 80D में दावा 45,000 रुपये (20,000 + 25,000 रुपये ) होगा।

*उदाहरण  B*- मिस्टर Y एक वेतनभोगी 45 वर्षीय व्यक्ति है। वह अपनी पत्नी, 2 बच्चों और अपनी माँ जो 69 वर्ष की है। मिस्टर Y 28,000 रुपये का वार्षिक प्रीमियम (स्व + जीवनसाथी + 2 बच्चों के लिए) और 59,000 रुपये (माँ के लिए) चुकाता है।

उपरोक्त मामले में, भले ही मिस्टर Y 87,000 रुपये का कुल प्रीमियम चुकाते हैं, लेकिन वे केवल धारा 80 डी के तहत 75,000 रुपये के लिए कर-बचत लाभों का दावा कर सकते हैं। वह स्वयं, अपने पति या पत्नी और बच्चे के लिए अधिकतम 25,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकता है ,भले ही उसने वास्तव में 28,000 का भुगतान किया हो। इसी प्रकार वह अपनी मां के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए अधिकतम 50,000 रुपये का दावा कर सकता है, भले ही वास्तविक भुगतान 59,000 रुपये हो।इसलिए, कुल कटौती धारा 80D में दावा 75,000 रुपये ( 25,000 रु + 50,000 रु ) होगा।

CHECK DEDUCTION UNDER SECTION 80D ONLINE TOOL

स्वास्थ्य बीमा में कर  लाभ के अलावा प्रमुख फायदा-

स्वास्थ्य बीमा के लाभ उनके कर लाभों तक ही सीमित नहीं हैं। भले ही दावा योग्य प्रीमियम कटौती एक अच्छे प्रोत्साहन के रूप में काम करती है, भले ही उनके बिना स्वास्थ्य बीमा अत्यधिक अनुशंसित हो।  कुछ प्रमुख लाभ नीचे सूचीबद्ध हैं।

  • चिकित्सा व्यय के विरुद्ध कवरेज
  • गंभीर बीमारियों के खिलाफ कवरेज
  • कैशलेस लाभ
  • अपने नियोक्ता कवर के ऊपर और उसके ऊपर सुरक्षा

धारा 80 DD क्या है ? इससे टैक्स छूट कितनी मिलती है ? (80DD Tax Benefits)

आयकर की धारा 80 डीडी क्या है?

इनकम टैक्स की धारा 80 डीडी, किसी करदाता को अपने परिवार में किसी विकलांग व्यक्ति के ऊपर किए गए खर्च पर टैक्स छूट लेने का अधिकार प्रदान करती है।

यह टैक्स छूट दो प्रकार से मिलती है-

40 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांग व्यक्ति के पर 75000 रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है।

80 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांग व्यक्ति के उूपर 1 लाख 25 हजार रुपए तक के खर्च पर टैक्स छूट ली जा सकती है।

विकलांग व्यक्ति किसे माना जाएगा-

संविधान की धारा (1) के भाग 2 में मौजूद कानून समान- अवसर, सुरक्षा का अधिकार और पूर्ण सहभागिता) कानून, 1965 में विकलांगता को परिभाषित किया गया है। विकलांगता जो शामिल है, वे इस प्रकार हैं-

नेत्रहीनता /अंधापन (Blindness ),  अल्प दृष्टि (Low vision), ठीक हुआ कोढ़पन (Leprosy-cured),  चलने की विकलांगता (Loco motor disability), सुनने में कठिनाई (Hearing impairment), अल्प मानसिक विकास (Mental retardation),   मानसिक बीमारी (Mental illness),  स्वलीनता (Autism ), मानसिक पक्षाघात (Cerebral palsy),  बहु विकलांगता (Multi Disabilit).

80 डीडी के तहत टैक्स छूट के लिए जरूरी दस्तावेज-

धारा 80 डीडी के तहत टैक्स छूट पाने के लिए आपको आप के खर्च पर आश्रित परिवार के सदस्य के बारे में उपयुक्त दस्तावेज भी प्रस्तुत करना होता है। कब कौन सा दस्तावेज लगता है, उसके बारे में नियम इस प्रकार हैं-

चिकित्सीय प्रमाण पत्र

आपको अपने परिवार के आश्रित विकलांग व्यक्ति के बारे में उपयुक्त चिकित्साधिकारी की ओर से जारी किया गया मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करना होगा। नेत्रहीनता , अल्प दृष्टि, ठीक हुआ कोढ़पन, चलने की विकलांगता, सुनने में कठिनाई , अल्प मानसिक विकास, मानसिक बीमारी की स्थिति में इस प्रमाणपत्र की जरूरत होती है।

फॉर्म 10 IA कब भरना होता है-

अगर आप पर आश्रित परिवारी जन स्वलीनता (Autism),  मानसिक पक्षाघात (Cerebral palsy) या बहु विकलांगता (Multi Disability) की बीमारी से ग्रस्त है तो आपको फॉर्म 10 IA पेश करना होता है।

स्वघोषित प्रमाणपत्र –

आश्रित व्यक्ति के संबंध में उपरोक्त दस्तावेजों के अलावा आपको खुद भी एक अपनी ओर से घोषणापत्र देना होता है। इस स्वघोषित प्रमाणपत्र में आप बताते हैं कि आश्रित व्यक्ति पर आपने उस साल के दौरान कितना खर्च किया है। इन खर्चों में चिकित्सीय उपचार (नर्सिंग समेत), ट्रेनिंग या पुनर्वास (rehabilitation) पर हुए खर्चे भी शामिल होते हैं।

धारा 80DDB आयकर अधिनियम (Income Tax Section 80DDB) – चिकित्सा उपचार, आदि के संबंध में कटौती।

सेक्शन 80DDB के तहत अपने किसी आश्रित की गंभीर और लंबी बीमारी के इलाज में खर्च की गई रकम पर इनकम टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। कोई आयकर दाता अपने माता-पिता, बच्चे, आश्रित भाई-बहनों और पत्नी के इलाज में खर्च की गई रकम की कटौती के लिए दावा कर सकता है। इनमें कैंसर, हीमोफीलिया, थैलीसीमिया और एड्स, किडनी फेल्योर आदि बीमारियां शामिल हैं।

धारा 80DDB के तहत कौन टैक्स माफ़ी क्लेम कर सकता है ?
धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट के लिए क्लेम केवल व्यक्ति या HUF ( हिन्दू अविभाजित परिवार ) द्वारा ही किया जा सकता हैं। इस धारा के तहत किसी कॉर्पोरेट या अन्य संस्थाओं द्वारा छूट नहीं क्लेम की जा सकती है। साथ ही इस टैक्स छूट को वही लोग क्लेम कर सकते हैं जो पिछले साल भारत देश के निवासी रहे हों। NRI (अप्रवासी भारतीयों) पर यह धारा लागू नहीं होगी।

धारा 80DDB के तहत किसके मेडिकल ट्रीटमेंट पर टैक्स माफ़ी का प्रावधान है ?

धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट केवल खर्च करने वाले व्यक्ति को ही मिलती है। निम्नलिखित स्तिथियों में भी व्यक्ति को छूट मिल सकती है ।

*👉व्यक्ति विशेष:* व्यक्ति विशेष के मामले में, टैक्स छूट इसके या उस पर निर्भर (Dependent) में से किसी के मेडिकल पर खर्च के लिए क्लैम किया जा सकता है। यहाँ निर्भर (Dependent) का मतलब पति या पत्नी, उसके बच्चों, उसके माता पिता, भाई/बहनों आदि से है।

*👉HUF ( हिन्दू अविवाहित परिवार ):* HUF के मामले में, उसके किसी भी सदस्य मेडीकल ट्रीटमेंट के खर्च को टैक्स छूट के लिए कवर किया जाएगा।

धारा 80DDB के तहत किस तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट आएंगे ?

धारा 80DDB कुछ विशेष मेडीकल ट्रीटमेंट पर किए गए खर्चों पर टैक्स छूट की सुविधा देती है। Section 11DD के अनुसार विशेष बीमारियां निम्नलिखित हैं।

न्यूरोलॉजिकल रोग जिसकी पहचान एक विशेषज्ञ द्वारा की गई हो, जहां विकलांगता का स्तर 40% या उससे अधिक होने का प्रमाण दिया गया हो, इसमें शामिल हैं डिमेंशिया, डिस्टोनिया मस्कुलरम डिफॉर्मस , कोरिया मोटर न्यूरोन रोग, एटासिया, पार्किंसंन डिजीस और हेमबैलिस्म,  घातक कैंसर, एड्स, क्रोनिक रीनल फेलियर, हेमोफिलिया या थैलेसीमिया जैसे हेमेटोलॉजिकल डिसऑनर।
यह बड़ी बीमारियों और उनके मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए टैक्स छूट देती है। यह उन मेडिकल खर्चों के लिए टैक्स छूट नहीं देता जो बहुत समान होते हैं जैसे मोतियाबिंद या जो सेक्शन C में आते हैं ।

80DDB क्लेम के लिये जरूरी दस्तावेज-

धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट का क्लेम करने के लिए मेडीकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता के सबूत देने होंगे। साथ ही यह प्रमाण भी देना होगा कि यह ट्रीटमेंट वास्तव में कराया गया है। इसके अलावा एक डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन भी आवश्यक हैं। पहले सरकारी अस्पताल से इस तरह के प्रिस-क्रिपशन लेना जरूरी था लेकिन वर्ष 2016-17 से यह नियम बदल गए है। अब निजि अस्पताल के संबंधित विशेषज्ञों से मिले प्रिस-क्रिपशन से भी काम चल जाता है। नियम 11DD में निम्नलिखित बदलाव हुए हैं।

*न्यूरोलॉजिकल* रोगों के मामले में डॉक्टर ऑफ मेडिसन इन न्यूरोलॉजिकल या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का ही प्रिस-क्रिपशन वैलिड होगा।

*मेलिग्नेट कैंसर* के मामले में एक ऑन्कोलॉजिस्ट या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।

*एड्स* के मामले में सामान्य या आंतरिक चिकित्सा में पोस्ट ग्रैजुएशन डिग्री या समकक्ष डिग्री वाले किसी विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।

*क्रोनिक रीनल फैलियर* के मामले में भी डॉक्टर ऑफ नेफ्रोलॉजिस्ट , या मास्टर ऑफ चिरेगाइ (M.Ch) या उसके समकक्ष किसी डिग्री वाले डॉक्टर के प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।

अंतिम बिमारी हेमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर के मामले में हेमेटोलॉजी या इसके समकक्ष डिग्री विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है। मेडिकल फील्ड से जुड़े विशेषज्ञ का ही प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है। ध्यान रखें. कि ये सभी डॉक्टर या डिग्री होल्डर्स भारतीय चिकित्सा परिषद से मान्यता प्राप्त होने चाहिये। अगर इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है तो फुल टाइम काम कर रहे डॉक्टर और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री वाले विशेषज्ञो के प्रिस-क्रिपशन भी शामिल होंगे ।

प्रिस-क्रिपशन में क्या होना चाहिए ?

पहले प्रिस-क्रिपशन फॉर्म 10- I में जमा होता था, अब इसे हटा दिया गया है जो 2016-17 से बदल गया है । अब इसके निम्नलिखित निर्देश है:

👉रोगी का नाम
👉रोगी की आयु
👉बीमारी
👉प्रिस-क्रिपशन देने वाले डॉक्टर का नाम, पता, व रजिस्ट्रेशन नम्बर

👉यदि किसी सरकारी हॉस्पिटल में उपचार हो तो वहां का नाम व पता और प्रिस-क्रिपशन आवश्यक होंगा ।
प्रिस-क्रिपशन में सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर व इंचार्ज के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।

धारा 80DDB के तहत किस राशि को टैक्स माफ़ी में क्लेम कर सकते हैं ?

धारा 80DDB के तहत छूट क्लेम करने के लिए उस व्यक्ति की आयु मुख्य आधार है, जिसका मेडिकल ट्रीटमेंट किया गया हो।

यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो टैक्स छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि या 40,000 रु. दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी। यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के किसी सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि के एक लाख रुपए दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी।

वरिष्ठ नागरिकों यानी जिनकी उम्र 60 साल या उस से ज़्यादा के व्यक्ति, जिनकी नागरिकता भी भारतीय हो, ये उनसे संबंधित है। अतिवरिष्ठ नागरिक का मतलब जिनकी आयु 80 वर्ष से ज़्यादा है, और वो भारत का नागरिक हो।

धारा 80DDB के तहत छूट का क्लेम निम्नलिखित है:-

*👉सामान्य नागरिक -आयु 60 वर्ष से कम*
₹ 40,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो

*👉वरिष्ठ नागरिक – आयु 60वर्ष या उससे ऊपर 80 वर्ष से कम हो*
₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो

*👉अति वरिष्ठ नागरिक – 80 या उससे ऊपर*
₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो

ध्यान रखने योग्य बातें :-

👉छूट का क्लेम तभी किया जाएगा जब पिछले वर्ष के दौरान किए गए खर्च वास्तविक हों।

👉इसके अलावा छूट की राशि मेडिकल ट्रीटमेंट लेने वाले व्यक्ति की उम्र पर निर्भर होगी न कि क्लेम करने वाले की उम्र पर।

👉धारा 80DDB के तहत छूट की राशि, भाग VI (A) के तहत कवर की गई है।

मेडिकल इंश्योरेंस होने पर कितनी मिलेगी टैक्स छूट ?

अगर आपके मेडिकल खर्च के लिए कुछ या पूरा पैसा मेडिकल इंशोरेंस से मिला है तो उसे घटाकर ही आपको धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट मिलेगी।

उदाहरण-1 यदि क्लेम करने वाला 60,000/- रुपये मेडीकल ट्रीटमेंट पर खर्च करता है, तो वह धारा 80DDB के तहत 40,000/- रुपये की टैक्स छूट क्लेम कर सकता है। यदि इस खर्च के लिए किसी बीमा कंपनी से 30,000/- रुपये की राशि प्राप्त हुई है, तो धारा 80DDB के तहत वह जो टैक्स छूट का दावा कर सकता है वह 10,000 रु. (40,000 रु. – 30,000 रु.) होगी।

उदाहरण -2 यदि बीमा कंपनी से 60,000/- रु. के खर्च पर मिली राशि 50,000/- रुपये है, जो 40,000/- रु. की टैक्स छूट क्लेम करने वाले को मिलने वाली थी वो नहीं मिलेगी, क्योंकि उस से ज़्यादा उसे बीमा कंपनी से मिल चुका है।

हालाँकि, इस मामले में मेडीकल ट्रीटमेंट पाने वाला व्यक्ति यदि एक वरिष्ठ नागरिक है, तो वह 1,00,000/- (वरिष्ठ नागरिक को धारा 80DDB के तहत मिलने वाली टैक्स छूट) टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकता है।

धारा 80GG – भुगतान किए गए किराए के संबंध में कटौती

अगर आपको HRA (हाउस रेंट अलाउंस) नहीं मिलता है लेकिन आप किराय के मकान में रहते हैं, तब भी आयकर अधिनियम, 1961 के धारा 80GG के अंतर्गत आपको दिए हुए किराय पर टैक्स छूट मिल सकती है । धारा 80GG के अंतर्गत सालाना 60,000 रु. ( 5,000 रु. प्रति महिना) की अधिकतम छूट की अनुमति है । आपको इस धारा का लाभ नहीं मिल सकता है अगर आपके (या आपकी पत्नी /बच्चे) के पास खुद का घर है । इस धारा के फायदे का दावा करने के लिए, आपको 10BA फॉर्म भरना होगा ।

कौन धारा 80GG के अंतर्गत छूट का दावा कर सकता है?

कोई भी नौकरीपेशा/स्वयं रोज़गार (अपना बिज़नस करने वाला) व्यक्ति जिसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA) नहीं मिलता है और वित्तीय वर्ष (Financial year) के दौरान कभी भी HRA नहीं मिला है।

धारा 80GG  के अंतर्गत छूट कितनी मिलेगी ?

धारा 80GG  के अंतर्गत निम्नलिखित में से जो भी सबसे कम छूट होगी वो आपको दी जाएगी –

  • किराय से मूल वेतन का 10% घटाने के बाद
  • 60,000 रू. प्रति वर्ष (5,000 रु. प्रति महिना)
  • कुल आय का 25% (मूल रूप से अपना बिज़नस करने वालों के लिए)

उदाहरण 1 

रमेश साल का 5 लाख कमाता है (सारी कटौती के बाद) और किराए के घर में रहता है जिसके लिए उसे कोई भी हाउस रेंट अलाउंस नहीं मिल रहा है। रमेश साल का 1.5 लाख रूपए किराया देता है। ऐसे मामले में निम्न में से कम टैक्स छूट दी जाएगी:

स्तिथि 1: हर महीने 5,000 रू. की मासिक किराये की सीमा जो है 60,000 रु. प्रति साल.
स्तिथि 2: दिया हुआ किराया जो है 1.5 लाख माइनस 50,000 (वार्षिक आय का 10%) = 1 लाख रु.
स्तिथि 3: पूरी वार्षिक आय का 25% = 1.25 लाख रु.

ऊपर दिए गए उदाहरण मेंक्योंकि पहली स्तिथि में सबसे कम पैसे हैं इसलिए रमेश को स्तिथि के हिसाब से लाभ मिलेगा. याद रखें कि आपको HRA टैक्स छूट वार्षिक 60,000 रु. से ज़्यादा की नहीं मिल सकती. अगर अन्य किसी स्तिथि में टैक्स छूट 60,000 रु. से कम बनती है तो आपको उतनी टैक्स छूट मिलेगी.

उदाहरण 2 

रमेश साल का 3 लाख कमाता है (सारी कटौती के बाद) और वो किराए के घर में रह रहा है जिसके लिए उसे कोई भी हाउस रेंट अलाउंस नहीं मिल रहा है। रमेश एक महीने का 6,000 रू. किराया देता है और साल का किराया हो जाता है 72,000 रू.। ऐसे मामले में निम्न से सबसे कम वाली स्तिथि की टैक्स छूट मिलेगी:

स्तिथि 1: हर महीने 5,000 रु. की मासिक किराये की सीमा जो है 60,000 रु. प्रति वर्ष

स्तिथि 2:  दिया हुआ किराया जो है 72,000 रु. में से 30,000 घटाओ (वार्षिक आय का 10%) = 42,000 रु.

स्तिथि 3:  पुरे वार्षिक आय का 25%= 75,000 रु.

ऊपर दिए गए उदाहरण में, क्यूंकि दूसरी स्तिथि 2 में सबसे कम पैसे हैं इसलिए रमेश को स्तिथि 2 के हिसाब से टैक्स छूट मिलेगी. याद रखें कि आपको HRA टैक्स छूट वार्षिक 60,000 रु. से ज़्यादा की नहीं मिल सकती. अगर अन्य किसी स्तिथि में टैक्स छूट 60,000 रु. से कम बनती है तो आपको उतनी टैक्स छूट मिलेगी.

टैक्स देने वाला व्यक्ति धारा 80GG  के अंतर्गत टैक्स छूट के लिए फॉर्म 10BA भरता है। फॉर्म बहुत आसानी से सारे टैक्स कार्यालयों में, कर्मचारी के HR विभाग में मिलता है या आप कई वेबसाइटों से भी इसे डाउनलोड कर सकते हैं।

नीचे वो सारी जानकारी बताई गई है जो आपको फॉर्म में भरने की ज़रूरत है-

  • नाम  तथा पैन न०
  • पूरा पता पिन कोड सहित
  • कब से उस पते पर रह रहे हैं
  • किराय भुगतान का तरीका
  • किराय भुगतान की राशि
  • मकान मालिक का नाम और पता
  • अगर निर्धारण वर्ष के लिए साल का किराया 1 लाख से ज्यादा है, तो मकानमालिक का पैन नंबर देना ज़रूरी है
  • इस बात की घोषणा कि आप या आपकी पत्नी/बच्चे के नाम कोई घर नहीं है या HUF से जिसके वो सदस्य हैं

आयकर की धारा 80GGA : ग्रामीण विकास और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए दिया गया दान और टैक्स राहत

आयकर की धारा  80GGA  ग्रामीण विकास और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए किए गए दान के लिए कर कटौती प्रदान करता है। किसी पेशे और व्यवसाय से आय वाले कर दाताओं को छोड़कर कोई भी कर निर्धारिती इस कटौती का दावा कर सकता है। दान नकद, बैंक ड्राफ्ट या चेक के रूप में होना चाहिए।

इस कर कटौती योजना के तहत 10,000/- रुपये के मूल्य से अधिक के दान पर विचार करने की अनुमति नहीं है। हालांकि, दान का भुगतान 100% कर कटौती योग्य है और संपूर्ण योगदान पर लागू होता है।

धारा 80GGA के तहत कर कटौती के लिए पात्र दान हैं:

  1. किसी विश्वविद्यालय, कॉलेज, अनुसंधान संघ, या अन्य संस्थान को दान के रूप में भुगतान की गई कोई भी राशि जो वैज्ञानिक अनुसंधान करती है और धारा 35(1)(ii) के तहत निर्धारित प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित और मान्यता प्राप्त है।
  2. किसी विश्वविद्यालय, कॉलेज, शोध संघ, या सांख्यिकीय अनुसंधान या सामाजिक विज्ञान अनुसंधान करने वाले किसी अन्य संस्थान को दान के रूप में भुगतान की गई कोई भी राशि और धारा 35(1)(iii) के तहत निर्धारित प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित और मान्यता प्राप्त है।
  3. किसी स्वीकृत संस्थान या एसोसिएशन को दान के रूप में भुगतान की गई कोई भी राशि जो ग्रामीण विकास कार्यक्रम चलाती है या लोगों को ग्रामीण विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए प्रशिक्षित करती है और धारा 35CCA के तहत मान्यता प्राप्त या स्वीकृत है।
  4. धारा 35AC के तहत स्वीकृत योजनाओं या परियोजनाओं को अंजाम देने वाले किसी स्थानीय प्राधिकरण, एक अनुमोदित संस्थान या संघ या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को दान के रूप में भुगतान की गई कोई भी राशि।
  5. ग्रामीण विकास के लिए एक अधिसूचित कोष में दान के रूप में भुगतान की गई कोई भी राशि।
  6. वनीकरण योजनाओं के लिए उपयोग की जाने वाली अधिसूचित निधि को दान के रूप में भुगतान की गई कोई भी राशि।
  7. राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन के लिए एक अधिसूचित कोष को दान के रूप में भुगतान की गई कोई भी राशि।

यदि धारा 80GGA के तहत आयकर कटौती पहले ही प्रदान की जा चुकी है, तो आयकर अधिनियम 1961 में उपलब्ध किसी भी अन्य प्रावधान के तहत दान या व्यय आगे कर कटौती के लिए पात्र नहीं हैं।

धारा 80GGC – राजनीतिक दलों को दान पर लाभ

आप एक राजनीतिक पार्टी की ओर अपने वित्तीय समर्थन के लिए कर कटौती का दावा कर सकते हैं। इससे संबंधित कटौती को धारा 80GGC के माध्यम से पेश किया गया थाआयकर अधिनियम, 1961। इस खंड को वित्त अधिनियम 2009 के माध्यम से पेश किया गया था।

धारा 80GGC क्या है?

धारा 80GGC एक राजनीतिक दल को दान देने वालों को लाभ से संबंधित है। हालांकि, एक राजनीतिक दल को सभी दान इस धारा के तहत लाभ के लिए पात्र नहीं हैं। यू / एस 80 जीजीसी द्वारा किए गए दान 100% कर हैं-घटाया और अनुभाग के तहत उल्लिखित कोई विशिष्ट सीमा नहीं है। चुनावी ट्रस्ट पंजीकृत राजनीतिक दल (आरपीए, 1951 का यू / एस 29 ए) में योगदान करने वाली किसी भी राशि पर कर कटौती का दावा किया जा सकता है।

धारा 80GGC की विशेषताएं इस खंड की विशेषताएं नीचे दी गई हैं:-

  1. पारदर्शिता चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए इस खंड को पेश किया गया था। यह करदाताओं के राजनीतिक दलों में योगदान को भी प्रोत्साहित करता है।
    2. कटौती कटौती अध्याय VI-A के अंतर्गत आती है, जिसका अर्थ है कि कुल राशि जो खड़ी हो सकती है और यह कटौती कर योग्य से अधिक नहीं हो सकती हैआय। कर कटौती निर्दिष्ट मूल्यांकन की ओर की जाती है।.

पात्रता मानदंड धारा 80GGC के तहत

  1. धन इस धारा के तहत, व्यक्तियों को वित्त पोषण,हिन्दू अविभाजित परिवार (HUF), कंपनी, AOP या BOI और एक कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति एक राजनीतिक योगदान कर सकते हैं। स्थानीय अधिकारियों या कृत्रिम न्यायिक व्यक्तियों को पूरी तरह से या आंशिक रूप से सरकार द्वारा वित्त पोषित योगदान नहीं दे सकता है।
  2. *लाभ* आप कई राजनीतिक दलों को दान देने के लाभों का आनंद ले सकते हैं।
  3. दान प्रकार राजनीतिक दल को आप जो दान दे रहे हैं वह कभी भी नकद में नहीं होना चाहिए। तभी आप इस योजना के तहत पात्र होंगे। यह संशोधन 2013-14 में स्थापित किया गया था। आप चेक, डिमांड ड्राफ्ट, डेबिट या क्रेडिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग आदि के माध्यम से स्थानांतरण कर सकते हैं।.

धारा 80GGC के तहत कटौती के लिए प्रक्रिया यह कटौती धारा 80GGC के तहत प्राप्त करने की प्रक्रिया आसान है। आपको फाइल करनी हैकर विवरणी इनकम टैक्स फॉर्म पर समान रूप से प्रदान की गई जगह में सेक्शन 80GGC के तहत अंशदान के रूप में आपने जो राशि प्रदान की है, उसे शामिल करके। अनुभाग अध्याय VI-A के अंतर्गत आता हैआय कर रिटर्न प्रपत्र। आप ऑनलाइन बैंकिंग, चेक, के माध्यम से योगदान करके इस कटौती की सीमा का लाभ उठा सकते हैं।डेबिट कार्ड्स,क्रेडिट कार्ड, डिमांड ड्राफ्ट आदि। दान का विवरण अपने नियोक्ता को प्रस्तुत करना चाहिएफॉर्म 16। टैक्स रिटर्न जमा करते समय उसी के लिए उल्लेखित कॉलम में सभी आवश्यक विवरण दर्ज करें। दान प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल को निम्नलिखित विवरण के साथ एक रसीद जारी करनी चाहिए: राजनीतिक दल का नाम दान के रूप में प्राप्त राशि कड़ाही इसलिए राजनीतिक पार्टी को 80GGC का दान आपके वेतन से काटा जाएगा और नियोक्ता से प्रमाणपत्र होने पर आप इस कटौती का दावा कर सकते हैं। यह इस बात का प्रमाण होगा कि योगदान कर्मचारी के वेतन खाते से किया गया था।

धारा 80GGC के तहत आवश्यक दस्तावेज

कटौती का दावा करने के लिए, आपको निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे जो रसीदों के रूप में होंगे: आपके द्वारा दान की गई एक राजनीतिक पार्टी से रसीद, जिसमें उनके नाम का उल्लेख होना चाहिए| राजनीतिक दल का पता रसीद पर पैन और टैन पंजीकरण संख्या दाता का नाम| भुगतान का प्रकार शब्दों और संख्याओं में राशि|

निष्कर्ष :- कटौती के लिए दाखिल करते समय रसीद सुनिश्चित करें। रसीद की अनुपलब्धता आपको कटौती का दावा करने की अनुमति नहीं देगी। एक सलाह के रूप में, नकदी को छोड़कर अन्य साधनों के माध्यम से दान करें।

धारा 80 DD और धारा 80 U में अंतर

धारा 80 डीडी की तरह ही धारा 80 यू भी विकलांग व्यक्ति पर खर्च पर टैक्स छूट पाने का अधिकार देती है। दोंनों में एकसमान टैक्स छूट मिलती है। लेकिन दोनों में बेसिक रूप से अंतर है।

धारा 80DD किसी आश्रित विकलांग व्यक्ति पर खर्च के बदले टैक्स छूट लेने का अधिकार देती है। यह टैक्स छूट उस विकलांग व्यक्ति को नहीं मिलतीबल्कि उस व्यक्ति को मिलती हैजो उस विकलांग व्यक्ति की देख रेख करता है।

धारा 80U किसी विकलांग व्यक्ति की ओर से स्वयं पर किए गए खर्च के बदले टैक्स छूट लेने का अधिकार देती है। यानी कि यह टैक्स छूट उस विकलांग व्यक्ति को खुद ही मिलती हैअगर वह टैक्स भरने लायक आमदनी पाता है तो।

धारा 80GGC और धारा 80GGB के बीच अंतर

धारा 80 GGC  निर्दिष्ट करदाता लाभ का दावा कर सकता है धारा 80 GGB कंपनियां लाभ का दावा करने के लिए पात्र हैं। आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 जीजीबी के अनुसार, एक भारतीय कंपनी जो किसी राजनीतिक दल या भारत में पंजीकृत किसी चुनावी ट्रस्ट का योगदान करती है, उसके द्वारा योगदान की गई राशि के लिए कटौती का दावा कर सकती है।

धारा 80D और धारा 80DDB में अंतर 

मेडिकल इंश्योरेंस (चिकित्सा  बीमा ) प्रीमियम तथा हेल्थ चेकअप  जो स्वयं के परिवार और माता -पिता के लिए चुकाया जाता है वह राशि टैक्स छूट आयकर धारा 80D के तहत आती है।

धारा 80DDB में रोगों या बिमारियों के संबंध में किए गए मेडिकल ट्रीटमेंट के खर्चों के लिए टैक्स छूट का प्रावधान है। इनमें कैंसर, हीमोफीलिया, थैलीसीमिया और एड्स, किडनी फेल्योर आदि बीमारियां शामिल हैं।

यदि कोई व्यक्ति या HUF ( हिन्दू अविवाहित परिवार ) विशेष बिमारी के इलाज के लिये खर्च करता है तो धारा 80DDB के तहत उसे टैक्स छूट मिलती है। इसमें मेडीकल ट्रीटमेंट में किए गए खर्चों के लिए टैक्स छूट मिलती है ना कि मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए।

Home Loan ( गृह ऋण )

सवाल – हम दोनों पति-पत्नी कार्य करते हैं। हमने संयुक्त नाम से होम लोन लिया है जिसका भुगतान भी दोनों ही बराबर-बराबर कर रहे हैं। क्या होम लोन के ब्याज पर हम दोनों दो-दो लाख रुपये की छूट अपनी आयकर विवरणी में प्राप्त कर सकते हैं।

जवाब – जी हां। अगर मकान में मालिकाना हक भी आप दोनों का है तो आयकर की धारा 24 के तहत आप दोनों अलग-अलग दो लाख रुपये तक की छूट प्राप्त कर सकते हैं। अगर मकान किसी एक के नाम से है और होम लोन संयुक्त नाम से है तो फिर जिनके नाम से मकान है उन्हीं को होम लोन के ब्याज की छूट प्राप्त होगी।

होम लोन पर इनकम टैक्स लाभ वर्ष 2021 -  Income tax (Section  80C, Section 24, Section 80EE,  Section 80EEA )
होम लोन की इनकम टैक्स छूट के लाभ को सिर्फ 45 लाख रूपये तक स्टाम्प वैल्यू वाले घर खरीदने पर ही क्लेम किया जा सकता है.

01 फरवरी 2021 को केन्द्रीय बजट में सरकार ने हाउसिंग लोन भुगतान के लिए ब्याज पर रूपये 1.5 लाख अतिरिक्त कटौती को 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया है जिसमें ब्याज भुगतान पर रूपये 3.5 लाख तक की कटौती का लाभ उठा सकते है.

Section 80Cहाउसिंग लोन भुगतान में  मूलधन के पुनर्भुगतान राशि पर टैक्स कटौती अधिकतम 1.5 लाख रूपये है. इसमे स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क भी शामिल कर सकते है किन्तु केवल एक बार.

Section 24 B  हाउसिंग लोन भुगतान में चुकाई गयी ब्याज राशि पर टैक्स कटौती अधिकतम 2 लाख रूपये है. यह कटौती उस प्रॉपर्टी पर पर लागु होती है जिसका निर्माण 5 वर्षों के भीतर समाप्त हो गया है. अगर ये समय सीमा में समाप्त नहीं होता है तो आप 30,000 रूपये तक क्लेम कर सकते है.

Section EE – पहली बार घर खरीदने वालों के लिए हर वित्तीय वर्ष में होम लोन पर ब्याज दर अतिरिक्त टैक्स लाभ   50,000 रूपये क्लेम कर सकते है. होम लोन की राशि 35 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए . प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रूपये के भीतर होनी चाहिए.

Section  80EEA  – हाउसिंग लोन भुगतान के लिए ब्याज पर रूपये 1.5 लाख अतिरिक्त टैक्स  कटौती – होम लोन पर ये टैक्स लाभ सेक्शन 24(b) के तहत  2 लाख रूपये मौजूदा छूट के अतिरिक्त है.

ध्यान देने योग्य कुछ अन्य शर्तें -
  • टैक्स में छूट केवल तब लागू होगी जब प्रॉपर्टी का निर्माण पूरा हो जाता है , या बना बनाया घर खरीदते है.
  • हर साल इन टैक्स लाभों का फायदा उठायें और महत्वपूर्ण बचत करें .
  • अगर आप प्रॉपर्टी को अपने कब्जे के 5 साल के भीतर में बेच देते है तो सभी क्लेम वापस हो जायेंगे और आपकी आय में जुड़ जायेंगे.
  • आप प्रॉपर्टी खरीद सकते है और किराये पर दे सकते है. इस मामले में होम लोन पर टैक्स छूट के रूप में क्लेम करने की कोई अधिकतम सीमा नहीं है .
  • होम लोन का लाभ उठाते समय अगर आप किसी अन्य घर में किराये से रहना जारी रखते है तो आप HRA पर टैक्स लाभ का क्लेम भी कर सकते है.
  • होम लोन का बीमा हेतु चुकाई गयी राशि धारा 80 C के अंतर्गत आएगी.

Home Loan ( गृह ऋण )

सवाल – हम दोनों पति-पत्नी कार्य करते हैं। हमने संयुक्त नाम से होम लोन लिया है जिसका भुगतान भी दोनों ही बराबर-बराबर कर रहे हैं। क्या होम लोन के ब्याज पर हम दोनों दो-दो लाख रुपये की छूट अपनी आयकर विवरणी में प्राप्त कर सकते हैं।

जवाब – जी हां। अगर मकान में मालिकाना हक भी आप दोनों का है तो आयकर की धारा 24 के तहत आप दोनों अलग-अलग दो लाख रुपये तक की छूट प्राप्त कर सकते हैं। अगर मकान किसी एक के नाम से है और होम लोन संयुक्त नाम से है तो फिर जिनके नाम से मकान है उन्हीं को होम लोन के ब्याज की छूट प्राप्त होगी।

होम लोन पर इनकम टैक्स लाभ वर्ष 2021 -  Income tax (Section  80C, Section 24, Section 80EE,  Section 80EEA )
होम लोन की इनकम टैक्स छूट के लाभ को सिर्फ 45 लाख रूपये तक स्टाम्प वैल्यू वाले घर खरीदने पर ही क्लेम किया जा सकता है.

01 फरवरी 2021 को केन्द्रीय बजट में सरकार ने हाउसिंग लोन भुगतान के लिए ब्याज पर रूपये 1.5 लाख अतिरिक्त कटौती को 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया है जिसमें ब्याज भुगतान पर रूपये 3.5 लाख तक की कटौती का लाभ उठा सकते है.

Section 80Cहाउसिंग लोन भुगतान में  मूलधन के पुनर्भुगतान राशि पर टैक्स कटौती अधिकतम 1.5 लाख रूपये है. इसमे स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क भी शामिल कर सकते है किन्तु केवल एक बार.

Section 24 B  हाउसिंग लोन भुगतान में चुकाई गयी ब्याज राशि पर टैक्स कटौती अधिकतम 2 लाख रूपये है. यह कटौती उस प्रॉपर्टी पर पर लागु होती है जिसका निर्माण 5 वर्षों के भीतर समाप्त हो गया है. अगर ये समय सीमा में समाप्त नहीं होता है तो आप 30,000 रूपये तक क्लेम कर सकते है.

Section EE – पहली बार घर खरीदने वालों के लिए हर वित्तीय वर्ष में होम लोन पर ब्याज दर अतिरिक्त टैक्स लाभ   50,000 रूपये क्लेम कर सकते है. होम लोन की राशि 35 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए . प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रूपये के भीतर होनी चाहिए.

Section  80EEA  – हाउसिंग लोन भुगतान के लिए ब्याज पर रूपये 1.5 लाख अतिरिक्त टैक्स  कटौती – होम लोन पर ये टैक्स लाभ सेक्शन 24(b) के तहत  2 लाख रूपये मौजूदा छूट के अतिरिक्त है.

ध्यान देने योग्य कुछ अन्य शर्तें -
  • टैक्स में छूट केवल तब लागू होगी जब प्रॉपर्टी का निर्माण पूरा हो जाता है , या बना बनाया घर खरीदते है.
  • हर साल इन टैक्स लाभों का फायदा उठायें और महत्वपूर्ण बचत करें .
  • अगर आप प्रॉपर्टी को अपने कब्जे के 5 साल के भीतर में बेच देते है तो सभी क्लेम वापस हो जायेंगे और आपकी आय में जुड़ जायेंगे.
  • आप प्रॉपर्टी खरीद सकते है और किराये पर दे सकते है. इस मामले में होम लोन पर टैक्स छूट के रूप में क्लेम करने की कोई अधिकतम सीमा नहीं है .
  • होम लोन का लाभ उठाते समय अगर आप किसी अन्य घर में किराये से रहना जारी रखते है तो आप HRA पर टैक्स लाभ का क्लेम भी कर सकते है.
  • होम लोन का बीमा हेतु चुकाई गयी राशि धारा 80 C के अंतर्गत आएगी.
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