संगठन का मांग पत्र

माध्यमिक शिक्षा, प्रारम्भिक शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा का मांग पत्र

मांगपत्र - प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा

  1. राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 को अविलम्ब लागू किया जाये।
  2. शिक्षकों की छठें वेतनमान की विसंगतियों को दूर करते हुए केन्द्र के अनुरूप सातवें वेतनमान में पे-मैट्रिक एवं लेवल निर्धारित कर 01.01.2016 से नगद परिलाभ दिया जाये।
  3. शिक्षक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए।
  4. माननीय न्यायालय एवं RTE अधिनियम के निर्देशानुसार शिक्षकों को समस्त गैर शैक्षिक कार्यो यथा जनगणना, पोषाहार, भवन निर्माण, B.L.O. तथा वर्ष पर्यन्त निर्वाचन के नाम पर प्रतिनियुक्ति व्यवस्था से पूर्णतः मुक्त किया जाए।
  5. वेतन विसंगतियों के निराकरण हेतु गठित सावंत एवं खेमराज कमेटी की रिपोर्टों को तत्काल सार्वजनिक कर लागू किया जावे एवं समस्त शिक्षक संवर्गों की सभी वेतन विसंगतियों का तत्काल निवारण किया जाए।
  6. विभाग में पदस्थापन हेतु प्रचलित काउन्सलिंग पद्धति को युक्ति-युक्त बनाकर समस्त वर्गों के शिक्षकों के लिये हितकारी, पारदर्शी एवं सुविधाजनक बनाया जायें। पदस्थापन हेतु सूचियों में वरीयता निर्धारण में समान दृष्टिकोण अपनाते हुए वरीयता निर्धारण किया जायें एवं समस्त रिक्त स्थान पर्याप्त समय पूर्व प्रसारित किए जायें, नियमानुसार यात्रा भत्ता व योगकाल दिया जाये।
  7. स्टाफिंग पैटर्न के मानदण्डों में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के मानदण्डानुसार पदों का निर्धारण किया जाये। स्टाफिंग पैटर्न के मानदण्डों में विद्यालय के नामांकन एवं विषय को आधार माना जायैं माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न लागू किया जाए।
  8. RGHS / RPMF की कटोती कम की जाए एवं आयकर में छुट दी जाऐं।
  9. सभी वर्ग के शिक्षकों को प्रथम नियुक्ति तिथि से ए.सी.पी. का लाभ दिया जाये।
  10. पी.डी. मद के शिक्षकों के वेतन बजट हेतु एकमुश्त बजट आंवटित करते हुए वेतन भुगतान की व्यवस्था पी ओ के माध्यम से सीधे कोष कार्यालय द्वारा की जाये।
  11. शिक्षकों को अवकाश के दिन कार्य करने पर नियमानुसार क्षतिपूर्ति अवकाश प्रदान किये जाये।
  12. कृषि, गृह विज्ञान, संगीत, वाणिज्य एवं सामाजिक विज्ञान के अध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति दी जायें।
  13. समस्त श्रेणी के विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक, योग शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष, सहायक कर्मचारी एवं कम्प्यूटर शिक्षक के पदों का सृजन किया जाकर रिक्त पद अविलम्ब भरें जाये।
  14. शिक्षकों को देय एसीपी 9,18,27 के साथ ही पदोन्नति का पदनाम भी दिया जाये।
  15. नव-नियुक्त शिक्षकों का परिवीक्षा काल सम्पूर्ण सेवा अवधि मे केवल एक बार हो, परिवीक्षा काल अवधि 2 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष की जाए तथा परिवीक्षा काल में स्थिर वेतन के स्थान पर नियमित वेतनमान दिये जाये।
  16. ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों को ग्रामीण भत्ता दिया जाये।
  17. शारीरिक शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष व प्रयोगशाला सहायकों की वर्षवार नियमित डी.पी.सी. तत्काल की जाये।
  18. उच्च प्राथमिक विद्यालय में लेवल-2 गणित-विज्ञान विषयों के पद पृथक-पृथक स्वीकृत किये जाये।
  19. मध्यावधि अवकाश में कार्य करने पर शिक्षकों उपार्जित अवकाश का लाभ दिया जायें।
  20. अप्रैल माह में शिक्षकों के सभी वर्गों जॉइंट डायरेक्टर (संयुक्त निदेशक) से प्रारंभ करते हुए तृतीय श्रेणी तक पदोन्नति करके के 30 जून तक पदस्थापन कर पद ग्रहण कराया जावे। मध्य सत्र में पदोन्नति नहीं हो एवं स्थानान्तरण ग्रीष्मकाल मे ही किया जावें।
  21. समस्त राज्य कर्मचारियों को 8-16-24-32 वर्ष पर ए.सी.पी. का लाभ देकर पदोन्नति पद का वेतनमान प्रदान किया जाए।
  22. शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के समय तीन सौ उपार्जित अवकाशों की सीमा समाप्त की जाए तथा सेवानिवृत्ति के पश्चात 65, 70 एवं 75 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर पेंशन में क्रमशः 5, 10 व 15 प्रतिषत वृद्धि की जाए।
  23. नव गठित जिलों में विकल्प के आधार पर जिला परिवर्तित होने पर वरिष्ठता विलोपित नहीं की जायें।
  24. शिक्षा विभाग में की जा रही संविदा आधारित नियुक्ति प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जा कर नियमित भर्ती से ही पद भरे जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाए। पूर्व से शिक्षण कार्य करा रहे समस्त संविदा कार्मिकों को नियमित किया जाये। यथा- शिक्षाकर्मी,पैराटीचर,पंचायत शिक्षक आदि।
  25. माध्यमिक शिक्षा में अध्यापक संवर्ग की सीधी भर्ती की जाए तथा प्रारम्भिक शिक्षा से सेटअप परिवर्तन (6 डी तथा अन्य नियमान्तर्गत) अनिवार्य के स्थान पर स्वैच्छिक किया जाए।
  26. शिक्षा विभाग एवं उसके अन्तर्गत संचालित परियोजनाओं / बोर्ड आदि मे विभागीय अधिकारियों की ही नियुक्ति की जाये।
  27. पूर्व प्राथमिक छज्ज् शिक्षकों को सामान्य शिक्षकों के समान वेतन श्रृंखला दी जाऐं।
  28. संगठन द्वारा आयोजित शैक्षिक सेमिनार व कार्यशाला के लिए पूर्व की भांति विशेष शैक्षिक अवकाश स्वीकृत किये जाये।
  29. राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) को मान्यता प्रदान की जाये।
  30. स्थानान्तरण नीति के नियम बनाए जाये।
  31. कुक कम हेल्पर के मानदेय में वृद्धि की जाये।
  32. तृतीय श्रेणी प्रबोधक की वेतन विसंगति छठे वेतनमान से चली या रही है । (छठे वेतनमान में 11170 पर फिक्स किया जबकि नियमानुसार 12900 पर फिक्स किया जाना था ) को दूर किया जाए।

मांगपत्र - संस्कृत शिक्षा

  1. संस्कृत शिक्षा माँग-पत्रशिक्षकों की छठें वेतनमान की विसंगतियों को दूर करते हुए केन्द्र के अनुरूप सातवें वेतनमान में पे-मैट्रिक एवं लेवल निर्धारित कर 01.01.2016 से नगद परिलाभ दिया जाये।
  2. राज्य सेवा व अन्य प्रशासनिक सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं में संस्कृत के दस से पन्द्रह अंकों के प्रश्न निर्धारित किये जाये।
  3. राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) को अविलम्ब मान्यता प्रदान की जाये।
  4. राज्य सरकार के वर्ष 2000 के निर्देशानुसार स्कूल विभाग का स्वतंत्र रूप से गठन किया जाए कॉलेज शिक्षा के अधिकारियों का संस्कृत स्कूली शिक्षा पर से नियंत्रण समाप्त हो।
  5. संस्कृत शिक्षा सेवा नियम स्कूल विंग उल्लेखित पद सयुंक्त निदेषक 1 एवं उपनिदेषक के 2 पदों का प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति अविलम्ब जारी की जावें।
  6. नव गठित जिलों में सम्भाग कार्यालय एवं प्रत्येक जिला स्तर पर प्रशासनिक कार्यालय का सृजन हो एवं प्रधानाचार्य स्तर के अधिकारी का पद स्वीकृत हो जिससे निरीक्षण एवं कार्यालय के अन्य कार्यों को गति मिले तथा सामान्य शिक्षा के साथ बेहतर समन्वय स्थापित हो।
  7. प्रत्येक ब्लॉक में 10 संस्कृत विद्यालय खोले जाए तथा प्रत्येक जिला स्तर पर विवेकानन्द मॉडल स्कूल की तरह महर्षि वाल्मिकी/कालिदास के नाम पर वरिष्ठ उपाध्याय मॉडल संस्कृत स्कूल की स्थापना की जाए।
  8. सभी पदों पर विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा प्रतिवर्ष पदोन्नति सुनिश्चित की जावें तथा प्राध्यापक/उपनिरीक्षक, प्रधानाध्यापक प्रवेशिका/वरिष्ठ उपनिरीक्षक एवं प्रधानाचार्य वरिष्ठ उपाध्याय की पदोन्नति में निर्धारित योग्यता में 48 प्रतिशत की बाध्यता समाप्त की जावें।
  9. विभाग में अधिकारों का विकेन्द्रीकरण करते हुए सहायक प्रशासनिक अधिकारी तक एवं द्वितीय श्रेणी शिक्षक तक नियुक्ति, संस्थापन, स्थानान्तरण ,वित्तिय एवं पदस्थापन के अधिकार संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी को दिये जाए। तथा सम्भाग स्तर पर वरिष्ठता का निर्धारण हो।
  10. प्रधानाचार्य वरि.उपा.की ग्रेड पे केन्द्र के अनुरूप 7600 कर सातवें वेतनमान में उसके अनुरूप लेवल का निर्धारण किया जाए।
  11. प्रत्येक जिले में एक वेद विद्यालय की स्थापना की जावें।
  12. संस्था प्रधानों की संभाग स्तरीय वाक्पीठ का आयोजन प्रतिवर्ष किया जावे।
  13. उच्च प्राथमिक विद्यालय में लेवल-2 में गणित व विज्ञान के पद पृथक-पृथक स्वीकृत किये जाए।
  14. संभाग स्तरीय खेल-कूद प्रकोष्ठ का गठन कर वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक को पदस्थापित किया जाये।
  15. संस्कृत शिक्षा को विशेष मानते हुए मानदण्डों में शिथिलता देते हुए सामान्य शिक्षा की तरह प्रवेशिका विधालयों को वरिष्ठ उपाध्याय में क्रमोन्नत किया जाए।
  16. राज्य सरकार द्वारा समग्र शिक्षा तथा अन्य परियोजनाओं में संस्कृत शिक्षा के शिक्षकों को भी प्रतिनियुक्ति के अवसर उपलब्ध कराये जाए।
  17. बी.एड. एवं उच्च अध्ययन के लिए अध्ययन अवकाश शिक्षा विभाग के अनुरूप स्वीकृत किया जावें।
  18. पदों का समानीकरण अनिवार्य रूप से किया जावें।
  19. समस्त प्रवेशिका एवं वरिष्ठ उपाध्याय विद्यालयों में मंत्रालयिक कर्मचारी, योग शिक्षक,शारीरिक शिक्षक ;प्रवेशिका में तृतीय श्रेणी एवं वरिष्ठ उपाध्याय में द्वितिय श्रेणीद्ध, कम्प्यूटर शिक्षक,पुस्तकालयाध्यक्ष एवं आवश्यकतानुसार सहायक कर्मचारी के पदों का सृजन कर भरा जावें।
  20. माननीय न्यायालय एवं RTE अधिनियम के निर्देशानुसार शिक्षकों को समस्त गैर-शैक्षणिक कार्यों यथा जनगणना, पोषाहार, भवन निर्माण, बी.एल.ओ. तथा वर्ष पर्यन्त निर्वाचन के नाम पर प्रतिनियुक्ति/व्यवस्था से पूर्णतया मुक्त किया जाये।
  21. सभी पदों पर पदोन्नति पश्चात पदस्थापन काउंसलिग से किया जाऐं।
  22. नामांकन एवं विषय के आधार पर पदों का पुनः निर्धारण किया जाए तथा जिन वरिष्ठ उपाध्याय एवं प्रवेशिका विद्यालयों में संस्कृत, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी आदि के पद सृजित नहीं है तो जिन संस्थाओं में पद अधिशेष हैं उन्हें प्रत्याहरित कर आवंटित किया जाए।
  23. सामान्य शिक्षा के उच्च माध्यमिक विधालयों में एक-तिहाई विधालयों में संस्कृत विषय खोला जावें।
  24. सामान्य कोर्सेज के साथ-साथ वास्तुशास्त्र, ज्योतिष, योग, कर्मकाण्ड आदि व्यवसायिक विषयों को प्रारम्भ किया जाए जिससे रोजगार का सृजन हो।
  25. शाला दर्पण पोर्टल के सभी टेब संचालित किये जावें तथा प्रधानाचार्य स्तर पर संशोधन एवं अपडेशन के अधिकार पूर्ण कालिक रूप से दिए जायें।
  26. वरिष्ठ उपनिरिक्षक का नाम अतिरिक्त जिला संस्कृत शिक्षा अधिकारी एवं उपनिरिक्षक का पदनाम उप जिला संस्कृत शिक्षा अधिकारी किया जावें।
  27. योग, सूर्यनमस्कार, वर्ष प्रतिपदा, सरस्वती वंदना, सामाजिक समरसता आदि उत्सवों हेतु संदर्भ व्यक्ति कार्यशाला, शिक्षक गोष्ठी, सेमीनार आदि का जिला स्तर तक प्रशिक्षण के आयोजन कि योजना बनाई जावें ।
  28. संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी ध् सहायक निदेशक दोनों प्रधानाचार्य वरिष्ठ उपाध्याय से पदोन्नति के पद है परंतु पदोन्नति पश्चात ग्रेड पे 6600 ही रहती है इसे 7600 किया जावे ताकि पदोन्नति से होने वाले आर्थिक लाभ से कार्मिक वंचित ना हो ।
  29. उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पद पर सभी विषयों के वरिष्ठ अध्यापकों को लगाया जाए ।